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जैन समाज के प्रति घृणा एवं वैमनस्य को लेकर बेबुनियाद आरोप लगाने वाले अनूप मण्डल पर कार्यवाही की मांग को लेकर सौंपा ज्ञापन

बालोतरा- जैन समाज के प्रति घृणा एवं वैमनस्य को लेकर बेबुनियाद आरोप लगाने के संदर्भ में गुरुवार को सेकड़ो की संख्या में पहुंचे जैन समाज के लोगो ने अनूप मण्डल के विरुद्ध ज्ञापन सौंपा। पचपदरा तहसीलदार इमरान खा को महामहिम राष्ट्रपति के नाम ज्ञापन सौंपते हुए कार्यवाही की मांग की। ज्ञापन में बताया कि जैन समाज अहिंसा परमो धर्म के प्रति समर्पित प्राणी मात्र के कल्याण के लिए कार्यरत है। जैन आचार्य, साधु-साध्वी अपने संयममय जीवन में पाच महावतों का पालन करते हुए भगवान महावीर के बताये पद चिन्हों पर चलते है और उन्हीं का अनुकरण करते हुए जैन समाज मानव सेवा एवं प्राणी मात्र की सेवा में सार्वजनिक औषधालय, विद्यालय, गौशाला, प्याऊ आदि का निर्माण एवं संचालन कर रहा है। जैन धर्म सूक्ष्म से सूक्ष्म जीवो के प्रति दया का भाव रखता है। मदनराज चोपड़ा ने कहा कि बालोतरा का एक संगठन 'धरती माता ज्ञान मंदिर समदड़ी रोड, बालोतरा (अनूप मंडल) के अनुयायी मुकनाराम माली द्वारा ऐसे महान अहिंसा वादी, शांति प्रिय, धर्म प्रिय जैन धर्म के सामु संतों एवं समाज के विरुद्ध स्थूल हिंसा का बेबुनियाद आरोप लगाकर वातावरण को दूषित बनाया जा रहा है, जिससे पूरे जैन समाज में भारी रोष व्याप्त है। बालोतरा ओसवाल समाज अध्यक्ष शान्तिलाल डागा ने बताया कि हाल ही में कोरोना के समय एवं वर्तमान में गौ माता के लम्पी रोग के संदर्भ में भी जैन समाज पर बेबुनियाद आरोप लगाकर बालोतरा के उपखंड अधिकारी के समक्ष 16.09.2022 को ज्ञापन प्रस्तुत किया गया। कि इन समस्त आपदाओं का कारण जैन साधु संत एवं जैन समाज है जिसका सकल जैन समाज न केवल भर्त्सना करता है वरन दोषी व्यक्तियों पर तुरंत कार्यवाही करने की मांग करता है । नरेश ढेलरिया ने बताया कि ओसवाल समाज बालोतरा द्वारा दिनांक 25 मार्च 2020 को 0168 एफ. आई आर दर्ज करवाई गई थी। जिस पर अभी तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई है धरती माता ज्ञान मन्दिर, समदड़ी रोड, बालोतरा (अनूप मंडल) के अनुयायी मुकनाराम माली की गतिविधियों एवं जगत हित कारणी पुस्तक पर 16.06.1997 प्रतिबंध होने के बावजूद प्रचार प्रसार किया जा रहा है । पूर्व नगरपालिका अध्यक्ष प्रभा सिंघवी ने कहा कि
जैन समाज भारत सरकार, राजस्थान सरकार एवं अन्य राज्य सरकारों से मांग करता है कि इस संगठन के विरूप अतिशीघ्र कार्यवाही की जाए। अन्यथा हमें मजबूरन इस आंदोलन को पूरे भारत वर्ष मे गति प्रदान करनी पड़ सकती है।